आसिफ़ुद्दौला
ग़ज़ल 27
अशआर 8
इस अदा से मुझे सलाम किया
एक ही आन में ग़ुलाम किया
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कहता है बहुत कुछ वो मुझे चुपके ही चुपके
ज़ाहिर में ये कहता है कि मैं कुछ नहीं कहता
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फ़ाएदा क्या है नसीहत से फिरे हो नासेह
हम समझने के नहीं लाख तू समझाए हमें
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ये न आने के बहाने हैं सभी वर्ना मियाँ
इतना तो घर से मिरे कुछ नहीं घर दूर तिरा
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