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असलम फ़र्रुख़ी

1923 - 2016 | कराची, पाकिस्तान

प्रख्यात साहित्यकार, आलोचक, शोधकर्ता और शायर, पूर्व प्रोफेसर, अध्यक्ष, रजिस्ट्रार कराची यूनिवर्सिटी

प्रख्यात साहित्यकार, आलोचक, शोधकर्ता और शायर, पूर्व प्रोफेसर, अध्यक्ष, रजिस्ट्रार कराची यूनिवर्सिटी

असलम फ़र्रुख़ी

लेख 1

 

रेखाचित्र 1

 

अशआर 6

कोई मंज़िल नहीं बाक़ी है मुसाफ़िर के लिए

अब कहीं और नहीं जाएगा घर जाएगा

आग सी लग रही है सीने में

अब मज़ा कुछ नहीं है जीने में

सारे दिल एक से नहीं होते

फ़र्क़ है कंकर और नगीने में

देख मुझ को मोहब्बत की आँख से दोस्त

मिरा वजूद मिरा मुद्दआ हो जाए

रौशनी हो रही है कुछ महसूस

क्या शब आख़िर तमाम को पहुँची

ग़ज़ल 6

नज़्म 3

 

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