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अज़्म बहज़ाद

1958 - 2011 | कराची, पाकिस्तान

महत्वपूर्ण और लोकप्रिय पाकिस्तानी शायर/उस्ताद शायर बहज़ाद लखनवी के पोते

महत्वपूर्ण और लोकप्रिय पाकिस्तानी शायर/उस्ताद शायर बहज़ाद लखनवी के पोते

अज़्म बहज़ाद

ग़ज़ल 16

नज़्म 1

 

अशआर 18

कल सामने मंज़िल थी पीछे मिरी आवाज़ें

चलता तो बिछड़ जाता रुकता तो सफ़र जाता

रौशनी ढूँड के लाना कोई मुश्किल तो था

लेकिन इस दौड़ में हर शख़्स को जलते देखा

कितने मौसम सरगर्दां थे मुझ से हाथ मिलाने में

मैं ने शायद देर लगा दी ख़ुद से बाहर आने में

अजब महफ़िल है सब इक दूसरे पर हँस रहे हैं

अजब तंहाई है ख़ल्वत की ख़ल्वत रो रही है

दरिया पार उतरने वाले ये भी जान नहीं पाए

किसे किनारे पर ले डूबा पार उतर जाने का ग़म

चित्र शायरी 1

 

वीडियो 20

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अज़्म बहज़ाद

अज़्म बहज़ाद

अज़्म बहज़ाद

अज़्म बहज़ाद

अज़्म बहज़ाद

अज़्म बहज़ाद

Azm Behzad - mushaira

अज़्म बहज़ाद

उस आँख से वहशत की तासीर उठा लाया

अज़्म बहज़ाद

कहीं गोयाई के हाथों समाअ'त रो रही है

अज़्म बहज़ाद

कितने मौसम सरगर्दां थे मुझ से हाथ मिलाने में

अज़्म बहज़ाद

मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाता

अज़्म बहज़ाद

मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाता

अज़्म बहज़ाद

मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाता

अज़्म बहज़ाद

उस आँख से वहशत की तासीर उठा लाया

अज़्म बहज़ाद

कहीं गोयाई के हाथों समाअ'त रो रही है

अज़्म बहज़ाद

कितने मौसम सरगर्दां थे मुझ से हाथ मिलाने में

अज़्म बहज़ाद

जो बात शर्त-ए-विसाल ठहरी वही है अब वज्ह-ए-बद-गुमानी

अज़्म बहज़ाद

जो बात शर्त-ए-विसाल ठहरी वही है अब वज्ह-ए-बद-गुमानी

अज़्म बहज़ाद

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