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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

1861 - 1927

प्रतिष्ठित साहित्यिकार, शायर, दकन और दिल्ली के इतिहास पर अपनी यादगार किताबों के लिए प्रसिद्ध

प्रतिष्ठित साहित्यिकार, शायर, दकन और दिल्ली के इतिहास पर अपनी यादगार किताबों के लिए प्रसिद्ध

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

ग़ज़ल 8

अशआर 12

चराग़ उस ने बुझा भी दिया जला भी दिया

ये मेरी क़ब्र पे मंज़र नया दिखा भी दिया

बंधन सा इक बँधा था रग-ओ-पय से जिस्म में

मरने के ब'अद हाथ से मोती बिखर गए

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कभी दर पर कभी है रस्ते में

नहीं थकती है इंतिज़ार से आँख

ज़ोर से साँस जो लेता हूँ तो अक्सर शब-ए-ग़म

दिल की आवाज़ अजब दर्द भरी आती है

अहद के साथ ये भी हो इरशाद

किस तरह और कब मिलेंगे आप

पुस्तकें 59

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