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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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बासिर सुल्तान काज़मी

1953 | मांचसटर, इंग्लैंड

आधुनिक शायर व नासिर काज़मी के पुत्र

आधुनिक शायर व नासिर काज़मी के पुत्र

बासिर सुल्तान काज़मी

ग़ज़ल 48

नज़्म 10

अशआर 15

गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी

वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह

कैसे याद रही तुझ को

मेरी इक छोटी सी भूल

जब भी मिले हम उन से उन्हों ने यही कहा

बस आज आने वाले थे हम आप की तरफ़

दिल लगा लेते हैं अहल-ए-दिल वतन कोई भी हो

फूल को खिलने से मतलब है चमन कोई भी हो

तेरे दिए हुए दुख

तेरे नाम करेंगे

पुस्तकें 13

चित्र शायरी 2

 

वीडियो 4

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

बासिर सुल्तान काज़मी

कर लिया दिन में काम आठ से पाँच

बासिर सुल्तान काज़मी

बादल है और फूल खिले हैं सभी तरफ़

बासिर सुल्तान काज़मी

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