बेकल उत्साही
ग़ज़ल 19
नज़्म 7
अशआर 22
उलझ रहे हैं बहुत लोग मेरी शोहरत से
किसी को यूँ तो कोई मुझ से इख़्तिलाफ़ न था
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उस का जवाब एक ही लम्हे में ख़त्म था
फिर भी मिरे सवाल का हक़ देर तक रहा
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वो मेरे क़त्ल का मुल्ज़िम है लोग कहते हैं
वो छुट सके तो मुझे भी गवाह लिख लीजे
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दोहा 6
गीत 1
पुस्तकें 16
वीडियो 9
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