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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
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बेताब देहलवी

1911 - 1945 | दिल्ली, भारत

बेताब देहलवी के शेर

छोड़ दो ग़ैर से मिलना तुम अब यार कहीं

वर्ना रुस्वा मैं करूँगा सर-ए-बाज़ार कहीं

क्या कहूँ कैसा ही बल खाया है सिसकी भर के

हाथ मेरा जो ज़रा उस की कमर तक पहुँचा

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