दुआ डबाईवी के शेर
उन मद-भरी आँखों की तारीफ़ हो क्या ज़ाहिद
देखो तो हैं दो साग़र समझो तो हैं मय-ख़ाना
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टैग : आँख
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आप के इंकार ने बरपा तलातुम कर दिया
आ गई थी कश्ती-ए-उम्मीद साहिल के क़रीब
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