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फ़ना निज़ामी कानपुरी

1922 - 1988 | कानपुर, भारत

सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल, अपने ख़ास तरन्नुम के लिए मशहूर।

सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल, अपने ख़ास तरन्नुम के लिए मशहूर।

फ़ना निज़ामी कानपुरी

ग़ज़ल 26

अशआर 37

तिरे वा'दों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए

कोई ऐसा कर बहाना मिरी आस टूट जाए

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दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते

याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते

कोई पाबंद-ए-मोहब्बत ही बता सकता है

एक दीवाने का ज़ंजीर से रिश्ता क्या है

कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है

हम आह तो करते हैं फ़रियाद नहीं करते

इक तुझ को देखने के लिए बज़्म में मुझे

औरों की सम्त मस्लहतन देखना पड़ा

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वीडियो 22

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

फ़ना निज़ामी कानपुरी

फ़ना निज़ामी कानपुरी

फ़ना निज़ामी कानपुरी

फ़ना निज़ामी कानपुरी

फ़ना निज़ामी कानपुरी

जब मेरे रास्ते में कोई मय-कदा पड़ा

फ़ना निज़ामी कानपुरी

या रब मिरी हयात से ग़म का असर न जाए

फ़ना निज़ामी कानपुरी

घर हुआ गुलशन हुआ सहरा हुआ

फ़ना निज़ामी कानपुरी

डूबने वाले की मय्यत पर लाखों रोने वाले हैं

फ़ना निज़ामी कानपुरी

डूबने वाले की मय्यत पर लाखों रोने वाले हैं

फ़ना निज़ामी कानपुरी

मेरे चेहरे से ग़म आश्कारा नहीं

फ़ना निज़ामी कानपुरी

रहता है मय-ख़ाने ही के आस-पास

फ़ना निज़ामी कानपुरी

साक़िया तू ने मिरे ज़र्फ़ को समझा क्या है

फ़ना निज़ामी कानपुरी

हम आगही-ए-इश्क़ का अफ़्साना कहेंगे

फ़ना निज़ामी कानपुरी

ऑडियो 8

ऐ हुस्न ज़माने के तेवर भी तो समझा कर

ग़म हर इक आँख को छलकाए ज़रूरी तो नहीं

तू फूल की मानिंद न शबनम की तरह आ

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