रेज़ा रेज़ा सा भला मुझ में बिखरता क्या हे फ़ारूक़ बख़्शी
वो चाँद-चेहरा सी एक लड़की फ़ारूक़ बख़्शी
वो बस्ती याद आती है फ़ारूक़ बख़्शी
वो बस्ती याद आती है फ़ारूक़ बख़्शी
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