फ़ारूक़ नाज़की
ग़ज़ल 22
नज़्म 11
अशआर 15
आप की तस्वीर थी अख़बार में
क्या सबब है आप घर जाते नहीं
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जब कोई नौजवान मरता है
आरज़ू का जहान मरता है
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मुझ से क्या पूछते हो नाम पता
मैं तो बस आप का ही साया हूँ
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तू ख़ुदा है तो बजा मुझ को डराता क्यूँ है
जा मुबारक हो तुझे तेरे करम का साया
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सुना है लोग वहाँ मुझ से ख़ार खाते हैं
फ़साना आम जहाँ मेरी बेबसी का है
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