गुस्ताख़ रामपुरी, करामत-अल्लाह ख़ाँ (1866-1914) पेशे से जेलर मगर दिल से आ’शिक़ और शाइ’र थे। शराब और औ’रतों का बड़ा शौक़ था। बक़ौल हसरत मोहानी आँखें हर वक़्त गुलाबी रहती थीं। बहुत ख़ुश-मिज़ाज और शाह-ख़र्च थे। शाइ’री में अमीर मीनाई के शागिर्द थे और उनके शे’रों में उन्हीं जैसी, बयान की सफ़ाई और शोख़ी मिलती है।
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