Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

हबीब हाश्मी

अशआर 5

मैं ख़स्ता-हाल होता ये अजनबी से लगते

ये हसीं हसीं फ़रिश्ते मुझे आदमी से लगते

  • शेयर कीजिए

हर शब-ए-ग़म की सहर हो ये ज़रूरी है मगर

सब की ताबिंदा सहर हो ये ज़रूरी तो नहीं

  • शेयर कीजिए

सफ़र की आख़िरी मंज़िल में पास आया है

तमाम उम्र था जो दूर आसमाँ की तरह

  • शेयर कीजिए

सरहद-ए-दश्त से आबादी को जाने वालो

शहर में और भी ख़ूँ-रेज़ नज़ारे होंगे

  • शेयर कीजिए

शब की तन्हाई में उभरी हुई आवाज़-ए-जरस

सुब्ह-गाई का गजर हो ये ज़रूरी तो नहीं

  • शेयर कीजिए

क़ितआ 3

 

संबंधित लेखक

"कोलकाता" के और लेखक

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए