शीशा टूटे ग़ुल मच जाए
दिल टूटे आवाज़ न आए
हफ़ीज़ मेरठी, हफ़ीज़ुर्रहमान (1922-2000 ) आम लोंगों के जीवन-अनुभवों को सीधी साफ़ भाषा में बयान करने वाले लोकप्रिय शाइर जो एक ख़ास धार्मिक विचार धारा से संबंध के बावजूद अपनी ग़ज़ल को ग़ज़ल बनाए रखने में कामयाब रहे। सामाजिक व्यंग उनकी शाइरी का ख़ास पहलू था। मेरठ (उत्तर प्रदेश) में जन्म और वहीं देहांत।