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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हफ़ीज़ ताईब

ग़ज़ल 7

अशआर 2

ये दिल है मिरा या किसी कुटिया का दिया है

बुझता है दम-ए-सुब्ह तो जलता है सर-ए-शाम

सिमटा तिरा ख़याल तो गुल-रंग अश्क था

फैला तो मिस्ल-ए-दश्त-ए-वफ़ा फैलता गया

 

पुस्तकें 3

 

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