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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Hairat Allahabadi's Photo'

हैरत इलाहाबादी

1835 - 1892 | इलाहाबाद, भारत

अकबर इलाहाबादी के समकालीन , अपने शेर "आगाह अपनी मौत से कोई ......." के लिए प्रसिद्ध

अकबर इलाहाबादी के समकालीन , अपने शेर "आगाह अपनी मौत से कोई ......." के लिए प्रसिद्ध

हैरत इलाहाबादी के शेर

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं

सामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं

तो कुछ फ़िक्र में हासिल है तदबीर में है

वही होता है जो इंसान की तक़दीर में है

अपना ही हाल तक खुला मुझ को ता-ब-मर्ग

मैं कौन हूँ कहाँ से चला था कहाँ गया

कहा आशिक़ से वाक़िफ़ हो तो फ़रमाया नहीं वाक़िफ़

मगर हाँ इस तरफ़ से एक ना-महरम निकलता है

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