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हयात वारसी

1936 - 1991 | लखनऊ, भारत

मुशायरों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाने वाले शायर

मुशायरों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाने वाले शायर

हयात वारसी

ग़ज़ल 16

अशआर 2

है इख़्तियार हमें काएनात पर हासिल

सवाल ये है कि हम किस के इख़्तियार में हैं

हमें उजाल दे फिर देख अपने जल्वों को

हम आइना हैं मगर पर्दा-ए-ग़ुबार में हैं

 

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