इम्तियाज़ साग़र के शेर
होगा बहुत शदीद तमाज़त का इंतिक़ाम
साए से मिल के रोएगी दीवार देखना
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उसी दरख़्त को मौसम ने बे-लिबास किया
मैं जिस के साए में थक कर उदास बैठा था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हैं घर की मुहाफ़िज़ मिरी दहकी हुई आँखें
मैं ताक़ में रख आया हूँ जलती हुई आँखें
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड