- पुस्तक सूची 186095
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य2012
जीवन शैली22 औषधि929 आंदोलन297 नॉवेल / उपन्यास4852 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी13
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर68
- दीवान1465
- दोहा50
- महा-काव्य106
- व्याख्या201
- गीत62
- ग़ज़ल1190
- हाइकु12
- हम्द46
- हास्य-व्यंग36
- संकलन1602
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात691
- माहिया19
- काव्य संग्रह5056
- मर्सिया384
- मसनवी845
- मुसद्दस58
- नात566
- नज़्म1252
- अन्य76
- पहेली16
- क़सीदा189
- क़व्वाली17
- क़ित'अ65
- रुबाई300
- मुख़म्मस16
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम34
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा20
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त26
जमील जालिबी की बच्चों की कहानियाँ
दो दोस्त दो दुश्मन
घने जंगल में एक दलदल के क़रीब बरसों से एक चूहा और एक मेंढक रहते थे। बातचीत के दौरान एक दिन मेंढक ने चूहे से कहा, “इस दलदल में मेरा ख़ानदान सदियों से आबाद है और इसीलिए ये दलदल जो मुझे बाप-दादा से मिली है, मेरी मीरास है।” चूहा इस बात पर चिड़ गया। उसने
दो चूहे
दो चूहे थे जो एक दूसरे के बहुत गहरे दोस्त थे। एक चूहा शह्र की एक हवेली में बिल बना कर रहता था और दूसरा पहाड़ों के दरमियान एक गाँव में रहता था। गाँव और शह्र में फ़ासला बहुत था, इसलिए वो कभी-कभार ही एक दूसरे से मिलते थे। एक दिन जो मुलाक़ात हुई तो गाँव
नादान बकरी
इत्तेफ़ाक़ से एक लोमड़ी एक कुँएँ में गिर पड़ी। उसने बहुत हाथ पैर मारे और बाहर निकलने की हर तरह कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हुई। अभी वो कोशिश कर ही रही थी कि इतने में एक बकरी पानी पीने के लिए वहाँ आ निकली। बकरी ने लोमड़ी से पूछा, “ऐ बहन ये बताओ कि पानी
ना-शुक्रा हिरन
ये उस ज़माने का ज़िक्र है जब बंदूक़ ईजाद नहीं हुई थी और लोग तीर कमान से शिकार खेलते थे। एक दिन कुछ शिकारी शिकार की तलाश में जंगल में फिर रहे थे कि अचानक उनकी नज़र एक हिरन पर पड़ी। वो सब उसके पीछे हो लिए। शिकारी हिरन को चारों तरफ़ से घेर रहे थे और हिरन
क़िस्सा एक भेड़िए का
एक दफ़ा' का ज़िक्र है कि चाँदनी रात में एक दुबले-पतले, सूखे-मारे भूके भेड़िए की एक ख़ूब खाए पीए, मोटे-ताज़े कुत्ते से मुलाक़ात हुई। दुआ-सलाम के बाद भेड़िए ने उससे पूछा, “ऐ दोस्त तू तो ख़ूब तर-ओ-ताज़ा दिखाई देता है। सच कहता हूँ कि मैंने तुझसे ज़्यादा मोटा-ताज़ा
नादानी की सज़ा
गर्मी में एक शेर शिकार को निकला। चिलचिलाती धूप में, तपती हुई ज़मीन पर चलने से वो जल्द ही थक गया और एक बड़े से साया-दार घने दरख़्त के नीचे आराम करने लेट गया। अभी वो सोया ही था कि कुछ चूहे अपने बिलों से बाहर निकले और नादानी से उसकी पीठ पर उछलने कूदने लगे।
join rekhta family!
-
बाल-साहित्य2012
-