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जोश मलसियानी

1884 - 1976 | जालंधर, भारत

पद्म श्री, अविभाजित पंजाब के मशहूर शायर

पद्म श्री, अविभाजित पंजाब के मशहूर शायर

जोश मलसियानी

ग़ज़ल 20

नज़्म 1

 

अशआर 23

जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को

जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे

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इस वहम से कि नींद में आए कुछ ख़लल

अहबाब ज़ेर-ए-ख़ाक सुला कर चले गए

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मक़्बूल हों हों ये मुक़द्दर की बात है

सज्दे किसी के दर पे किए जा रहा हूँ मैं

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वतन की सर-ज़मीं से इश्क़-ओ-उल्फ़त हम भी रखते हैं

खटकती जो रहे दिल में वो हसरत हम भी रखते हैं

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डूब जाते हैं उमीदों के सफ़ीने इस में

मैं मानूँगा कि आँसू है ज़रा सा पानी

हास्य शायरी 1

 

क़ितआ 1

 

पुस्तकें 32

चित्र शायरी 1

 

वीडियो 3

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

जोश मलसियानी

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