दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले भारती विश्वनाथन
बीमार-ए-मोहब्बत की दवा है कि नहीं है अज्ञात
हाए लोगों की करम-फ़रमाइयाँ मेहरान अमरोही
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Kaif Bhopali at a mushaira in 1986. कैफ़ भोपाली
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हाए लोगों की करम-फ़रमाइयाँ मेहरान अमरोही
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