करामत अली शहीदी के शेर
सीख ले हम से कोई ज़ब्त-ए-जुनूँ के अंदाज़
बरसों पाबंद रहे पर न हिलाई ज़ंजीर
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जी चाहेगा जिस को उसे चाहा न करेंगे
हम इश्क़ ओ हवस को कभी यकजा न करेंगे
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टैग : इश्क़
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अय्याम मुसीबत के तो काटे नहीं कटते
दिन ऐश के घड़ियों में गुज़र जाते हैं कैसे
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