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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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ख़ुर्शीद अहमद जामी

1911 - 1970 | हैदराबाद, भारत

नई ग़ज़ल के महत्वपूर्ण शायर

नई ग़ज़ल के महत्वपूर्ण शायर

ख़ुर्शीद अहमद जामी

ग़ज़ल 29

नज़्म 2

 

अशआर 15

कोई हलचल है आहट सदा है कोई

दिल की दहलीज़ पे चुप-चाप खड़ा है कोई

सहर के साथ चले रौशनी के साथ चले

तमाम उम्र किसी अजनबी के साथ चले

याद-ए-माज़ी की पुर-असरार हसीं गलियों में

मेरे हमराह अभी घूम रहा है कोई

बड़े दिलचस्प वादे थे बड़े रंगीन धोके थे

गुलों की आरज़ू में ज़िंदगी शोले उठा लाई

यादों के दरख़्तों की हसीं छाँव में जैसे

आता है कोई शख़्स बहुत दूर से चल के

पुस्तकें 14

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