- पुस्तक सूची 180666
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1867
औषधि776 आंदोलन280 नॉवेल / उपन्यास4046 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी11
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर62
- दीवान1393
- दोहा65
- महा-काव्य97
- व्याख्या171
- गीत86
- ग़ज़ल930
- हाइकु12
- हम्द35
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1489
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात637
- माहिया18
- काव्य संग्रह4460
- मर्सिया358
- मसनवी767
- मुसद्दस52
- नात493
- नज़्म1122
- अन्य64
- पहेली16
- क़सीदा174
- क़व्वाली19
- क़ित'अ55
- रुबाई273
- मुख़म्मस18
- रेख़्ती12
- शेष-रचनाएं27
- सलाम32
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई26
- अनुवाद73
- वासोख़्त24
एम. शकील का परिचय
मूल नाम : मोहम्मद शकील
जन्म : 21 Jul 1927 | लखनऊ, उत्तर प्रदेश
निधन : 24 Dec 2007 | लखनऊ, उत्तर प्रदेश
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, मजदूर नेता, और पूर्व विधायक एम. शकील का जन्म 21 जुलाई 1927 को झंवाई टोले के प्रसिद्ध हकीमी खानदान में हुआ था। वह तकमिल-उ-तिब्ब कालेज के संस्थामपक हकीम अब्दुल अजीज के पोते और हकीम अब्दुल वली के नवासे थे। हकीम अब्दुल अलीम और इस्मत आरा बेगम के पुत्र एम. शकील ने अपने सियासी सफर की शुरूआत रिवॉल्यूशनरी कम्युनिस्ट पार्टी से की थी।
बरतानिया हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर सन 1941 में वह 14 वर्ष की कमउम्र में पहली बार जेल गये। लखनऊ जिला जेल में उन्होंने 21 दिन गुजारे। इसके बाद वह शिव वर्मा के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में जेल गये और डा. रशीद जहां के साथ जेल में रहे । वह कुल 14 बार जेल गये ।
उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली सुविधाओं को इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि उन्हें सरकार को अपने इंकलाबी होने का सबूत देना गवारा नहीं था।
लखनऊ में इंडियन पीपुल्स थियेटर की नींव डालने वाले नाटक प्रेमचंद के कफन में गंगा प्रसाद मेमोरियल हाल में उन्होने डॉ रशीद जहाँ के साथ शराबी भीखू की भूमिका निभायी।
श्री शकील हमेशा मजदूरों के हितों के लिए लड़ते रहे। वह लगातार यूनियन बनाकर रिक्शा – तांगा चालकों, मेडिकल कॉलेज के वार्ड ब्वाय, माली आदि कामगारों को संगठित करके उनका नेतृत्व करते रहे।
वर्ष 1960 में वह लखनऊ नगर पालिका के प्रथम सदन के पार्षद और उसकी कार्यकारिणी के सदस्य। रहे। इस चुनाव में वह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे।
वर्ष 1974 में श्री शकील कांग्रेस के टिकट पर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र के विधायक निर्वाचित हुए। विधायक के रूप में उनके योगदान को इस क्षेत्र की जनता आज भी याद करती है।इस चुनाव में उन्होंने बीजेपी के मशहूर नेता लालजी टंडन को जबरदस्त मात दी थी ।
मजदूरों के हितों की लड़ाई के अपने लंबे अनुभव में शकील साहब ने देखा था कि मजदूरों को उनका हक देने में सरकार और निजी संस्थान किस कदर कंजूसी बरतते हैं।
शुरूआती दौर में वह इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस से जुड़े थे। मजदूरों को उनका हक दिलाने के लिए 1975 से उन्होंने उनके मुकदमे लड़ने भी शुरू कर दिये।शकील साहब भारतीय खाद्य निगम मजदूर संघ के अध्यक्ष रहे और इसके साथ वह अपने जीवन के अंत तक जुड़े रहे। 1976 में उन्हो ने लखनऊ आगरा, वाराणसी, कानपुर और इलाहाबाद में भारतीय खाद्य निगम में ठेके पर मजदूर रखने की व्यवस्था को खत्म करके मजदूरों को विभागीय नौकरी दिलवायी।
उन्होंने केंद्रीय उपोषण बागवानी संस्थान - मैंगो रिसर्च इंस्टीट्यूट , रहमान खेड़ा के मजदूरों के हक़ और इंसाफ की लड़ाई लड़ने के लिए कृषि कर्मचारी सभा बनायी और वहाँ काम कर रहे १२० श्रमिकों के हक़ की लड़ायी लैड कर उनको विभागीय नौकरी दिलायी। इस लड़ाई में ना कभी काम बंद हुआ और ना कोई हड़ताल हुई या किसी प्रकार का काम में रुकावट नहीं आयी ।
16 जुलाई को लखनऊ पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक एम.शकील की स्मृति में महापौर डा.दिनेश शर्मा ने शनिवार को यहां पुराना नक्खास स्थित चावल वाली गली का नामकरण एम.शकील मार्ग किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि -स्वर्गीय शकील ने वतन की आजादी की लड़ाई तो लड़ी ही, लखनऊ नगर पालिका के प्रथम सदन के पार्षद की हैसियत से पुराने लखनऊ के विकास में भी उनका अप्रतिम योगदान रहा। उनकी शख्सियत और काम उनके नाम से कहीं बड़े हैं।
कम लोगों को यह मालूम होगा कि वह उर्दू के मशहूर उपन्यासकार थे। उन्होने एतबार, आशनाई, गिरती दीवारें, झनक बाज उठी ज़ंजीर और किरण फूटती है शीर्षक से पाँच उपन्यास लिखे जो किताबी दुनिया ने प्रकाशित किये। उनके कहानी संग्रह पर प्रोफेसर एहतिशाम हुसैन ने परिचय लिखा जो उनकी साहित्यिक हैसियत दर्शाता है।
संबंधित टैग
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
Get Tickets
-
बाल-साहित्य1867
-