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महेंद्र कुमार सानी

1984 | पंचकुला, भारत

नई नस्ल के सबसे प्रमुख शायरों में शामिल/उभरते हुए आलोचक

नई नस्ल के सबसे प्रमुख शायरों में शामिल/उभरते हुए आलोचक

महेंद्र कुमार सानी

ग़ज़ल 9

अशआर 17

मैं तन्हाई को अपना हम-सफ़र क्या मान बैठा

मुझे लगता है मेरे साथ दुनिया चल रही है

रात दिन गर्दिश में हैं लेकिन पड़ा रहता हूँ मैं

काम क्या मेरा यहाँ है सोचता रहता हूँ मैं

मैं चाहता हूँ कि तेरी तरफ़ देखूँ मैं

मिरी नज़र को मगर तू ने बाँध रक्खा है

तुझे रौशनी से जुदा करूँ किसी शाम मैं

तुझे इतनी ताब में देखना नहीं हो रहा

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यक़ीनन सोचता होगा वो मुझ को

उसे मैं ने अभी सोचा नहीं है

पुस्तकें 2

 

वीडियो 3

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

महेंद्र कुमार सानी

महेंद्र कुमार सानी

Mahendra Kumar Sani is a young Urdu poet from Panchkula, Chandigarh. Mahendra is reading some of his best collection at Rekhta Studio. महेंद्र कुमार सानी

महेंद्र कुमार सानी..

Mahendra Kumar Sani is a young Urdu poet from Panchkula, Chandigarh. Mahendra is reading some of his best collection at Rekhta Studio. महेंद्र कुमार सानी

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