महताब आलम के शेर
दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुम ने
बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वतन को फूँक रहे हैं बहुत से अहल-ए-वतन
चराग़ घर के हैं सरगर्म घर जलाने में
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उस को आवाज़ दो मोहब्बत से
उस के सब नाम प्यारे प्यारे हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तुम ज़माने के हो हमारे सिवा
हम किसी के नहीं तुम्हारे हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये सन कर मेरी नींदें उड़ गई हैं
कोई मेरा भी सपना देखता है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दिल को फिर दर्द से आबाद किया है मैं ने
मुद्दतों बा'द तुझे याद किया है मैं ने
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बंद कमरे में ज़ेहन क्या बदले
घर से निकलो तो कुछ फ़ज़ा बदले
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इक सफ़र फिर मरी तक़दीर हुआ जाता है
रास्ता पाँव की ज़ंजीर हुआ जाता है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ज़ेहन ऐसे भी न बन जाएँ निसाबों वाले
गुफ़्तुगू में भी हूँ अल्फ़ाज़ किताबों वाले
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आँसुओं के जहाँ में रहते हैं
हम इसी कहकशाँ में रहते हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बने हैं कितने चेहरे चाँद सूरज
ग़ज़ल के इसतिआराती उफ़ुक़ पर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
नाक़िदो तुम तो मिरे फ़न की परख रहने दो
अपने सोने को मैं पीतल नहीं होने दूँगा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
शर से है ख़ैर का इम्काँ पैदा
नूर-ओ-ज़ुल्मत हुए जुड़वाँ पैदा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ज़मीं क्यूँ मुझ से टकराती उफ़ुक़ पर
मिरा घर था मिरे ज़ाती उफ़ुक़ पर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड