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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Majnoon Gorakhpuri's Photo'

मजनूँ गोरखपुरी

1904 - 1988 | अलीगढ़, भारत

प्रसिद्ध प्रगतिशील आलोचक, रुमानवी शैली के कहानीकारों में शामिल

प्रसिद्ध प्रगतिशील आलोचक, रुमानवी शैली के कहानीकारों में शामिल

मजनूँ गोरखपुरी के शेर

जब से आया है वो मुखड़ा नज़र आईने को

तब से अपनी भी नहीं है ख़बर आईने को

हिनाई हाथ से आँचल सँभाले

ये शरमाता हुआ कौन रहा है

आज़ादी की धूमें हैं शोहरे हैं तरक़्क़ी के

हर गाम है पस्पाई हर वज़्अ ग़ुलामाना

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