मंसूरा अहमद के शेर
मैं उस को खो के भी उस को पुकारती ही रही
कि सारा रब्त तो आवाज़ के सफ़र का था
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टैग : आवाज़
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अजीब वजह-ए-मुलाक़ात थी मिरी उस से
कि वो भी मेरी तरह शहर में अकेला था
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