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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

मंसूरा अहमद

ग़ज़ल 6

नज़्म 8

अशआर 2

मैं उस को खो के भी उस को पुकारती ही रही

कि सारा रब्त तो आवाज़ के सफ़र का था

अजीब वजह-ए-मुलाक़ात थी मिरी उस से

कि वो भी मेरी तरह शहर में अकेला था

 

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