- पुस्तक सूची 183877
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1921
औषधि868 आंदोलन290 नॉवेल / उपन्यास4293 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी11
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर64
- दीवान1432
- दोहा64
- महा-काव्य98
- व्याख्या182
- गीत81
- ग़ज़ल1075
- हाइकु12
- हम्द44
- हास्य-व्यंग36
- संकलन1540
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात670
- माहिया19
- काव्य संग्रह4828
- मर्सिया374
- मसनवी813
- मुसद्दस57
- नात533
- नज़्म1194
- अन्य68
- पहेली16
- क़सीदा178
- क़व्वाली19
- क़ित'अ60
- रुबाई290
- मुख़म्मस17
- रेख़्ती12
- शेष-रचनाएं27
- सलाम33
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई28
- अनुवाद73
- वासोख़्त26
मौलवी अब्दुल हक़ के उद्धरण
बग़ैर किसी मक़सद के पढ़ना फ़ुज़ूल ही नहीं मुज़िर भी है। जिस क़दर हम बग़ैर किसी मक़सद के पढ़ते हैं उसी क़दर हम एक बा-मानी मुताला से दूर होते जाते हैं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
एक ज़माने में हिन्दी-उर्दू का झगड़ा मुक़ामी झगड़ा था, लेकिन जब से गांधी जी ने इस मसअले को अपने हाथ में लिया और हिन्दी की इशाअत का बेड़ा उठाया उसी वक़्त से सारे मुल्क में एक आग सी लग गई और फ़िर्का-वारी, इनाद और फ़साद की मुस्तहकम बुनियाद पड़ गई।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ज़बान के ख़ालिस होने का ख़याल दर-हक़ीक़त सियासी है, लिसानी नहीं। इसका बाइस क़ौमियत का बेजा फ़ख़्र और सियासी नफ़रत है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
इंसानी ख़याल की कोई थाह नहीं और न उसके तनव्वो और वुसअत की कोई हद है। ज़बान कैसी ही वसीअ' और भरपूर हो, ख़याल की गहराइयों और बारीकियों को अदा करने में क़ासिर रहती है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
उर्दू का रस्म-उल-ख़त हिन्दी की तरह सिर्फ़ हिन्दुस्तान के एक-आध इलाक़े तक महदूद नहीं बल्कि यह हिन्दुस्तान के बाहर भी बहुत से मुल्कों में राइज है। कहाँ-कहाँ मिटाएँगे। यहाँ ये रस्म-उल-ख़त उर्दू की पैदाइश के साथ-साथ आया है। इसका मिटाना आसान नहीं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हमारे रहनुमाओं की ग़लतियों से उर्दू-हिन्दी का झगड़ा अब फ़ुरूई मसाइल में से नहीं रहा, अस्ल मसअला हो गया है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
join rekhta family!
-
बाल-साहित्य1921
-