- पुस्तक सूची 182611
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1660
औषधि573 आंदोलन257 नॉवेल / उपन्यास3465 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी12
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर62
- दीवान1338
- दोहा61
- महा-काव्य93
- व्याख्या149
- गीत87
- ग़ज़ल760
- हाइकु11
- हम्द34
- हास्य-व्यंग38
- संकलन1394
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात636
- माहिया16
- काव्य संग्रह4016
- मर्सिया334
- मसनवी699
- मुसद्दस44
- नात437
- नज़्म1033
- अन्य48
- पहेली14
- क़सीदा146
- क़व्वाली9
- क़ित'अ53
- रुबाई258
- मुख़म्मस18
- रेख़्ती16
- शेष-रचनाएं27
- सलाम29
- सेहरा8
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई21
- अनुवाद78
- वासोख़्त24
मिर्ज़ा अदीब की कहानियाँ
गूँगी मुहब्बत
एक गूंगी लड़की की गूंगी मोहब्बत की कहानी। ज्योति आर्ट की शौक़ीन इंदिरा की ख़ादिमा है। एक आर्ट की नुमाइश के दौरान इंदिरा की मुलाकात मोहन से होती है और वह दोनों शादी कर लेते हैं। एक रोज़ जब इंदिरा को पता चलता है कि उसकी ख़ादिमा ज्योति भी मोहन से मोहब्बत करती है तो वह उसे छोड़कर चली जाती है।
माँ
यह एक देहाती लड़की की कहानी है, जिसकी शादी एक अमीर शहरी लड़के से हो जाती है। लड़की बहुत सीधी और शरीफ़ है इसलिए लड़के की ज़िंदगी में मिसफिट सी रहने लगती है। इस से तंग आकर लड़का दूसरी शादी कर लेता है। दूसरी बीवी पहली बीवी और उसकी बेटी के साथ लगातार मारपीट और उनका शोषण करती है। जिससे परेशान हो कर एक रोज़ वह अपनी बेटी के साथ घर से निकल जाती है। और घर के बग़ीचे में अपनी बच्ची को सीने से लगाए सख़्त सर्दी में ठिठुरती हुई यह औरत मर जाती है।
रिपोर्टर
सच की तलाश में निकले एक ऐसे रिपोर्टर की कहानी जो एक ऐसे गाँव में रिपोर्टिंग के लिए जाता है जो हाल ही में एक अच्छा क़स्बा बनकर उभरा है। क़स्बे में जाकर उसने हर चीज़ की ईमानदारी से तहक़ीक की। अगले दिन जिस पन्ने पर उसकी रिपोर्ट छपनी थी उस पर उसकी मौत की ख़बर छपी थी।
ख़ानदानी कुर्सी
एक ऐसे शख़्स की कहानी जो उन्नीस बरस बाद अपने घर वापस लौटता है। इतने अर्से में उसका गाँव एक क़स्बे में बदल गया है और जो लोग उसके खेतों में काम किया करते थे अब उनकी भी ज़िंदगी बदल गई है और ख़ुशहाल हैं। हवेली में घूमता हुआ वह अपने पुराने कमरे में गया तो उसे वहाँ एक कुर्सी मिली जो किसी ज़माने में ख़ानदान की शान हुआ करती थी, अब कबाड़ के ढ़ेर में पड़ी थी। कुर्सी की ये हालत और ख़ानदान की पुरानी यादें उसे इस हाल में ले आती हैं कि वो कुर्सी से लिपटा हुआ अपनी आख़िरी साँसें लेने लगता है।
ओल्ड एज होम
आराम-ओ-सुकून का तालिब एक ऐसे बूढ़े शख़्स की कहानी जो सोचता था कि रिटायरमेंट के बाद इत्मीनान से अपने घर में रहेगा, मज़े से अपनी पसंद की किताबें पढ़ेगा। लेकिन साथ रह रहे घर के दूसरे लोगों के अलावा अपने पोते-पोतियों के शोर-शराबे से उसे ऊब होने लगी और वह घर छोड़कर ओल्ड एज होम में रहने चला जाता है। वहाँ अपने से पहले रह रहे एक शख़्स का एक ख़त उसे मिलता है जिसमें वह अपने बच्चों को याद करके रोता है। उस ख़त को पढ़कर उसे अपने बच्चों की याद आती है और वह वापस घर लौट जाता है।
वो कौन थी?
एक बहुत ही मज़हबी शख़्स और उसके ख़ानदान की कहानी है। उस शख़्स के दो घर हैं, एक में वह अपनी फ़ैमिली के साथ रहता है और दूसरा मकान ख़ाली पड़ा हुआ है। अपने ख़ाली मकान को किसी शरीफ़ और नेक शख़्स को किराए पर देना चाहता है। फिर एक दिन उस घर में एक औरत आकर रहने लगती है और वह शख़्स उसके पास जाने लगता है। इस बारे में जब उसकी बीवी और घर के लोगों को पता चलता है तो कहानी एक नया मोड़ लेती है और वो मज़हबी और दीनदार शख़्स अपने घर वालों की निगाहों में क़ाबिल-ए-नफ़रीन बन जाता है।
ख़ून की एक बोतल
रोज़गार की तलाश में अपने ज़मीर का सौदा करने वाले ऐसे शख़्स की कहानी जिसकी माँ शदीद बीमार है। डाक्टरों ने उसमें खू़न की कमी बताई। वह ब्लड बैंक गया तो वहाँ मौजूद शख़्स ने कहा कि इस ग्रुप का ख़ून नहीं है। वह उसे एक दूसरे आदमी का पता देते हुए वहाँ से खू़न लेने का मश्वरा देता है। इसी बीच उसकी माँ की मौत हो जाती है। नौकरी की तलाश में घूमते हुए उस शख़्स की मुलाक़ात उसी खू़न देने वाले शख़्स से होती है, जो उसे ब्लड बैंक वाले शख़्स के साथ पार्टनरशिप में काम करने का मश्वरा देता है।
फ़ासले
एक ऐसे बूढ़े शख़्स की कहानी जो रिटायरमेंट के बाद घर में तन्हा रहते हुए बोर हो गया है और सुकून की तलाश में है। एक दिन वह घर से बाहर निकला तो गली में खेलते बच्चों को देख कर और सामान बेचते दुकानदारों से बात करना उसे अच्छा लगा। इस तरह वह वहाँ रोज़ आने लगा और अपना वक़्त गुज़ारने लगा। एक दिन इंग्लैंड से वापस आया उसका बेटा उसे अपने साथ ले जाता है। काफ़ी वक़्त के बाद जब वह वापस आता है और फिर से अपनी उस गली में निकलता है तो उसे एहसास होता है कि उसके लिए लोगों के मिज़ाज में तब्दीली आ गई है, शायद वह उनके लिए एक अजनबी बन चुका था।
शाही रक़्क़ासा
एक ऐसी रक़्क़ासा की कहानी जो महल की ज़िंदगी से ऊब कर आज़ादी के लिए बेचैन रहती है। वह जब भी बाहर निकलती है वहाँ लोगों को हँसते-गाते, अपनी मर्ज़ी की ज़िंदगी गुज़ारते देखती है तो उसे अपनी ज़िंदगी से नफ़रत होने लगती है। उसे वह महल किसी सोने के पिंजरे की तरह लगता है और वह खु़द को उसमें क़ैद किसी चिड़िया की तरह तसव्वुर करती है।
क़ैदी की सरगुज़श्त
जेल में बंद एक ऐसे क़ैदी की कहानी है जो सियासी मुजरिम है। क़ैद में बाहर की दुनिया और बीती ज़िंदगी को याद करके वह उदास हो जाता है। फिर एक रोज़ उसके पास एक बिल्ली का बच्चा आ जाता है। बिल्ली का बच्चा उसके साथ रहने लगता है। एक दिन अचानक उस क़ैदी की तबियत ख़राब होती है और वह तड़प-तड़प कर मर जाता है। सुबह जब संतरी उसे देखने आता है तो उसके साथ ही वह बिल्ली के बच्चे को भी मरा हुआ पाता है।
सातवाँ चराग़
अँधविश्वास और भ्रम की कहानी। शुमाल की पहाड़ी पर बने एक मक़बरे के बारे में मशहूर था कि जो भी शख़्स बिना नाग़ा वहाँ सात चराग़ जलाएगा उसकी दिली मुराद पूरी होगी। एक औरत के अलावा कोई भी वहाँ लगातार सात चराग़ नहीं जला पाया। रात के अँधेरे में एक बुढ़िया आती है और लगातार छह चराग़ जलाती है लेकिन जब सातवें चराग़ की बारी आती है तो वह बुढ़िया खु़द एक मुजिज़ा बन गई और लोग अब उसका मज़ार बना कर उस पर चराग़ाँ करने लगे।
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
GET YOUR PASS
-
बाल-साहित्य1660
-