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Mirza Mohammad Hadi Aziz Lakhnavi's Photo'

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

1882 - 1935 | लखनऊ, भारत

लखनऊ में क्लासिकी ग़ज़ल के प्रमुख उस्ताद शायर

लखनऊ में क्लासिकी ग़ज़ल के प्रमुख उस्ताद शायर

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

ग़ज़ल 41

नज़्म 5

 

अशआर 60

पैदा वो बात कर कि तुझे रोएँ दूसरे

रोना ख़ुद अपने हाल पे ये ज़ार ज़ार क्या

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मुझ को का'बा में भी हमेशा शैख़

याद-ए-अय्याम-ए-बुत-परस्ती थी

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ये मशवरा बहम उठ्ठे हैं चारा-जू करते

कि अब मरीज़ को अच्छा था क़िबला-रू करते

सबक़ के गोर-ए-ग़रीबाँ से ले लो

ख़मोशी मुदर्रिस है इस अंजुमन में

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हाए क्या चीज़ थी जवानी भी

अब तो दिन रात याद आती है

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