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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

1790 - 1857 | लखनऊ, भारत

लखनऊ स्कूल के प्रमुख क्लासिकी शायर / अवध के आख़री नवाब, वाजिद अली शाह के उस्ताद

लखनऊ स्कूल के प्रमुख क्लासिकी शायर / अवध के आख़री नवाब, वाजिद अली शाह के उस्ताद

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ग़ज़ल

असर ज़ुल्फ़ का बरमला हो गया

फ़सीह अकमल

किस तरह मिलें कोई बहाना नहीं मिलता

फ़सीह अकमल

न कोई उन के सिवा और जान-ए-जाँ देखा

फ़सीह अकमल

न रहे नामा ओ पैग़ाम के लाने वाले

फ़सीह अकमल

बे-बुलाए हुए जाना मुझे मंज़ूर नहीं

फ़सीह अकमल

मिसाल-ए-तार-ए-नज़र क्या नज़र नहीं आता

फ़सीह अकमल

वहशत में भी रुख़ जानिब-ए-सहरा न करेंगे

फ़सीह अकमल

शम्अ भी इस सफ़ा से जलती है

फ़सीह अकमल

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