मोहम्मद आज़म के वीडियो
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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
One of the most prominent contemporary ghazal poet in India. Mohammad Azam reciting his ghazals at Rekhta Studio. मोहम्मद आज़म
One of the most prominent contemporary ghazal poet in India. Mohammad Azam reciting his ghazals at Rekhta Studio. मोहम्मद आज़म
One of the most prominent contemporary ghazal poet in India. Mohammad Azam reciting his ghazals at Rekhta Studio. मोहम्मद आज़म
One of the most prominent contemporary ghazal poet in India. Mohammad Azam reciting his ghazals at Rekhta Studio. मोहम्मद आज़म
One of the most prominent contemporary ghazal poet in India. Mohammad Azam reciting his ghazals at Rekhta Studio. मोहम्मद आज़म
One of the most prominent contemporary ghazal poet in India. Mohammad Azam reciting his ghazals at Rekhta Studio. मोहम्मद आज़म
One of the most prominent contemporary ghazal poet in India. Mohammad Azam reciting his ghazals at Rekhta Studio. मोहम्मद आज़म
One of the most prominent contemporary ghazal poet in India. Mohammad Azam reciting his ghazals at Rekhta Studio. मोहम्मद आज़म
One of the most prominent contemporary ghazal poet in India. Mohammad Azam reciting his ghazals at Rekhta Studio. मोहम्मद आज़म
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
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Dekhha ke chale jaate the sab shauq ke maare मोहम्मद आज़म
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Garan tha matn mushkil aur bhi tabeer padh lena मोहम्मद आज़म
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Hafs e Talluq mein door na ja idhar udhar मोहम्मद आज़म
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Hone ko ab kya dekhiye kya kuch hai aur kya kuch nahin मोहम्मद आज़म
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Hum aadamzad jo hain Roz e Awwal se kami hai ye मोहम्मद आज़म
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Kamaan sonp ke dushman ko apne lashkar ki मोहम्मद आज़म
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Kuch garaz humko nahin hai ke kahan le jaaye मोहम्मद आज़म
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Subuk mujhko mohabbat mein मोहम्मद आज़म
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Talab karegi jaan aarzoo ki jaan aarzoo मोहम्मद आज़म
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Ye nashe aagahi khatarnak hai sar mein मोहम्मद आज़म
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इक नश्तर-ए-निगाह है इस से ज़ियादा क्या मोहम्मद आज़म
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कुछ ग़रज़ हम को नहीं है कि कहाँ ले जाए मोहम्मद आज़म
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कमान सौंप के दुश्मन को अपने लश्कर की मोहम्मद आज़म
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गुदाज़ तक ही ख़राबी हुनर सँभालेगा मोहम्मद आज़म
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गिराँ था मत्न मुश्किल और भी ताबीर पढ़ लेना मोहम्मद आज़म
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तलफ़ करेगी कब तक आरज़ू की जान आरज़ू मोहम्मद आज़म
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देखा कि चले जाते थे सब शौक़ के मारे मोहम्मद आज़म
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ये नश्शा-ए-आगाही ख़तरनाक है सर में मोहम्मद आज़म
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रक्खा था जिसे दिल में वो अब है भी नहीं भी मोहम्मद आज़म
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सब है ज़ेर-ए-बहस जो ज़ाहिर है या पोशीदा है मोहम्मद आज़म
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सुबुक मुझ को मोहब्बत में ये कज-उफ़्ताद करता है मोहम्मद आज़म
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हब्स तअल्लुक़ात में दूर न जा इधर उधर मोहम्मद आज़म
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हम आदम-ज़ाद जो हैं रोज़-ए-अव्वल से कमी है ये मोहम्मद आज़म
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हँसी में टाल रहे हो तुम उस के रोने को मोहम्मद आज़म
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होने को अब क्या देखिए क्या कुछ है और क्या कुछ नहीं मोहम्मद आज़म