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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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मोहम्मद बे-नज़ीर शाह

मोहम्मद बे-नज़ीर शाह

अशआर 3

मुसीबत में आँखें खुलीं अब तो देखा

छुपाते हैं मुँह मेहरबाँ कैसे कैसे

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हुए फूल ख़ुश्क चमन जला कहीं नाम को तिरी रही

यही अपने ज़ख़्म हरे रहे यही अपनी आँख भरी रही

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हमारा इम्तिहाँ करते हो लेकिन

तुम्हारा भी इसी में इम्तिहाँ है

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