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Mohsin Bhopali's Photo'

मोहसिन भोपाली

1932 - 2007 | कराची, पाकिस्तान

मोहसिन भोपाली

ग़ज़ल 34

नज़्म 4

 

अशआर 28

एक मुद्दत की रिफ़ाक़त का हो कुछ तो इनआ'म

जाते जाते कोई इल्ज़ाम लगाते जाओ

कोई सूरत नहीं ख़राबी की

किस ख़राबे में बस रहा है जिस्म

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जाने वाले सब चुके 'मोहसिन'

आने वाला अभी नहीं आया

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बदन को रौंदने वालो ज़मीर ज़िंदा है

जो हक़ की पूछ रहे हो तो हक़ अदा हुआ

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'मोहसिन' अपनाइयत की फ़ज़ा भी तो हो

सिर्फ़ दीवार-ओ-दर को मकाँ मत समझ

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पुस्तकें 15

वीडियो 8

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

मोहसिन भोपाली

मोहसिन भोपाली

मोहसिन भोपाली

जाहिल को अगर जेहल का इनआ'म दिया जाए

मोहसिन भोपाली

बे-सबब लोग बदलते नहीं मस्कन अपना

मोहसिन भोपाली

ता-देर हम ब-दीदा-ए-तर देखते रहे

मोहसिन भोपाली

ये मेरे चारों तरफ़ किस लिए उजाला है

मोहसिन भोपाली

ऑडियो 10

अपना आप तमाशा कर के देखूँगा

ख़बर क्या थी न मिलने के नए अस्बाब कर देगा

चाहत में क्या दुनिया-दारी इश्क़ में कैसी मजबूरी

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