मोहसिन ख़ान मोहसिन के शेर
ऐ सनम तू वो कनहय्या है बलाएँ लूँ अगर
बाँसुली की तरह नालाँ हों सरापा उँगलियाँ
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere