aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1814 - 1880 | रामपुर, भारत
प्रसिद्ध क्लासिकी शायर जिन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया
कुफ्र-ओ-इस्लाम में तौलें जो हक़ीक़त तेरी
बुत-कदा क्या कि हरम संग-ए-तराज़ू हो जाए
कलकत्ता में हर दम है 'मुनीर' आप को वहशत
हर कोठी में हर बंगले में जंगला नज़र आया
गर्मी-ए-हुस्न की मिदहत का सिला लेते हैं
मिशअलें आप के साए से जला लेते हैं
तेरी फ़ुर्क़त में शराब-ए-ऐश का तोड़ा हुआ
जाम-ए-मय दस्त-ए-सुबू के वास्ते फोड़ा हुआ
हो गया हूँ मैं नक़ाब-ए-रू-ए-रौशन पर फ़क़ीर
चाहिए तह-बंद मुझ को चादर-ए-महताब का
Intikhab-e-Kalam Muneer Shikohabadi
जंग-ए-आज़ादी 1857 का मुज़ाहिद शायर
मीर मोहम्मद इस्माईल हुसैन मुनीर सिकोहाबादी
2006
Muntakhab-ul-Aalam
1848
Tanqeed
Munir Shikohabadi Number : Shumara Number-001-003
1962
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