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मुनीर शिकोहाबादी

1814 - 1880 | रामपुर, भारत

प्रसिद्ध क्लासिकी शायर जिन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया

प्रसिद्ध क्लासिकी शायर जिन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया

मुनीर शिकोहाबादी

ग़ज़ल 56

नज़्म 1

 

अशआर 117

कुफ्र-ओ-इस्लाम में तौलें जो हक़ीक़त तेरी

बुत-कदा क्या कि हरम संग-ए-तराज़ू हो जाए

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कलकत्ता में हर दम है 'मुनीर' आप को वहशत

हर कोठी में हर बंगले में जंगला नज़र आया

गर्मी-ए-हुस्न की मिदहत का सिला लेते हैं

मिशअलें आप के साए से जला लेते हैं

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तेरी फ़ुर्क़त में शराब-ए-ऐश का तोड़ा हुआ

जाम-ए-मय दस्त-ए-सुबू के वास्ते फोड़ा हुआ

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हो गया हूँ मैं नक़ाब-ए-रू-ए-रौशन पर फ़क़ीर

चाहिए तह-बंद मुझ को चादर-ए-महताब का

रुबाई 9

पुस्तकें 4

 

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