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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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नईम सरमद

ग़ज़ल 9

अशआर 2

कैसी बिपता पाल रखी है क़ुर्बत की और दूरी की

ख़ुशबू मार रही है मुझ को अपनी ही कस्तूरी की

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अब की सर्दी में कहाँ है वो अलाव सीना

अब की सर्दी में मुझे ख़ुद को जलाना होगा

 

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