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नाजी शाकिर

1690 - 1744 | दिल्ली, भारत

नाजी शाकिर के ऑडियो

ग़ज़ल

कमर की बात सुनते हैं ये कुछ पाई नहीं जाती

फ़सीह अकमल

ज़िक्र हर सुब्ह ओ शाम है तेरा

फ़सीह अकमल

तेरे भाई को चाहा अब तेरी करता हूँ पा-बोसी

फ़सीह अकमल

देख मोहन तिरी कमर की तरफ़

फ़सीह अकमल

देखी बहार हम ने कल ज़ोर मय-कदे में

फ़सीह अकमल

दिल का खोज न पाया हरगिज़ देखा खोल जो क़ब्रों को

फ़सीह अकमल

लब-ए-शीरीं है मिस्री यूसुफ़-ए-सानी है ये लड़का

फ़सीह अकमल

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