aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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नाज़ क़ादरी

1940 - 2019 | मुजफ्फरपुर, भारत

शायर और अफ़साना निगार, अपनी रचनाओं में साझा सांस्कृतिक परम्पराओं की पुनरवलोकन के लिए जाने जाते हैं.

शायर और अफ़साना निगार, अपनी रचनाओं में साझा सांस्कृतिक परम्पराओं की पुनरवलोकन के लिए जाने जाते हैं.

नाज़ क़ादरी की ग़ज़लें

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