नियाज़ सुल्तानपुरी के दोहे
मानवता क्या चीज़ है क्या है शिष्टाचार
ख़ूब पनपता आज-कल लाशों का ब्योपार
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बादल के स्थान पर बरसे है बारूद
मीज़ाइल के अह्द में नहीं कोई बहबूद
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क़द्रें सब बूढ़ी हुईं मानवता नीलाम
चोर-उचक्कों को करें बड़े बड़े प्रणाम
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बादल सब रुख़्सत हुए मानसून के संग
इस कारन से आज है सारी ख़िल्क़त तंग
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समबिधान के क़त्ल पर हुई अदालत मौन
बहस छिड़ी ऐवान में इस पर दोषी कौन
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