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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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नूर जहाँ सरवत

1949 - 2010 | दिल्ली, भारत

नूर जहाँ सरवत

ग़ज़ल 9

अशआर 2

कौन तन्हाई का एहसास दिलाता है मुझे

ये भरा शहर भी तन्हा नज़र आता है मुझे

वो एक नज़र में मुझे पहचान गया है

जो बीती है दिल पर मिरे सब जान गया है

 

पुस्तकें 3

 

ऑडियो 3

प्यास जो बुझ न सकी उस की निशानी होगी

यूँ तो कहने को हम अदू भी नहीं

साथ मेरे अपने साए के सिवा कोई न था

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