Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Parveen Shakir's Photo'

परवीन शाकिर

1952 - 1994 | कराची, पाकिस्तान

उर्दू की सबसे लोकप्रिय शायरात में शामिल। स्त्रियों की भावनाओं को आवाज़ देने के लिए मशहूर

उर्दू की सबसे लोकप्रिय शायरात में शामिल। स्त्रियों की भावनाओं को आवाज़ देने के लिए मशहूर

परवीन शाकिर के ऑडियो

ग़ज़ल

अपनी तन्हाई मिरे नाम पे आबाद करे

सबिहा ख़ान

अपनी रुस्वाई तिरे नाम का चर्चा देखूँ

Fahad Husain

अश्क आँख में फिर अटक रहा है

सबिहा ख़ान

इक हुनर था कमाल था क्या था

सबिहा ख़ान

कुछ ख़बर लाई तो है बाद-ए-बहारी उस की

सबिहा ख़ान

कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी

परवीन शाकिर

कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी

Fahad Husain

कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की

Fahad Husain

कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊँगी

Fahad Husain

गुलाब हाथ में हो आँख में सितारा हो

सबिहा ख़ान

चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया

सबिहा ख़ान

जगा सके न तिरे लब लकीर ऐसी थी

सबिहा ख़ान

जब साज़ की लय बदल गई थी

सबिहा ख़ान

जला दिया शजर-ए-जाँ कि सब्ज़-बख़्त न था

सबिहा ख़ान

थक गया है दिल-ए-वहशी मिरा फ़रियाद से भी

सबिहा ख़ान

पा-ब-गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन

परवीन शाकिर

पा-ब-गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन

सबिहा ख़ान

बख़्त से कोई शिकायत है न अफ़्लाक से है

परवीन शाकिर

बख़्त से कोई शिकायत है न अफ़्लाक से है

सबिहा ख़ान

बहुत रोया वो हम को याद कर के

सबिहा ख़ान

बादबाँ खुलने से पहले का इशारा देखना

सबिहा ख़ान

बादबाँ खुलने से पहले का इशारा देखना

परवीन शाकिर

बारिश हुई तो फूलों के तन चाक हो गए

सबिहा ख़ान

रुकी हुई है अभी तक बहार आँखों में

सबिहा ख़ान

रंग ख़ुश-बू में अगर हल हो जाए

सबिहा ख़ान

हर्फ़-ए-ताज़ा नई ख़ुशबू में लिखा चाहता है

सबिहा ख़ान

हवा महक उठी रंग-ए-चमन बदलने लगा

सबिहा ख़ान

अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई

अमीता परसुराम मीता

चारासाज़ों की अज़िय्यत नहीं देखी जाती

नीलाक्षी

ज़िंदगी बे-साएबाँ बे-घर कहीं ऐसी न थी

नीलाक्षी

तेरी ख़ुश्बू का पता करती है

अमीता परसुराम मीता

हम ने ही लौटने का इरादा नहीं किया

नीलाक्षी

Recitation

बोलिए