अब नज़अ का आलम है मुझ पर तुम अपनी मोहब्बत वापस लो
जब कश्ती डूबने लगती है तो बोझ उतारा करते हैं
क़मर जलालवी,सय्यद मोहम्मद हुसैन (1887-1968) क्लासिकी अन्दाज़ के लोकप्रिय शाइ’र। जलाली, अ’लीगढ़ (उत्तर प्रदेश) में पैदा हुए। घरेलू ता’लीम के बा’द एक साइकिल की दुकान कर ली। बँटवारे के बा’द कराची जा बसे मगर ये दुकान शक्ल बदल कर साथ रही। दोनों मुल्कों में उन के बहुत शागिर्द थे।