क़मर उस्मानी के शेर
इक माह-रुख़ से मेरी मुलाक़ात हो गई
जिस का गुमान भी न था वो बात हो गई
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere