Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Rahbar Jaunpuri's Photo'

रहबर जौनपूरी

1939 - 2020 | भोपाल, भारत

रहबर जौनपूरी का परिचय

जन्म : 02 Jun 1939

निधन : 02 Dec 2020

LCCN :n2008207036

उर्दू के पुरानी प्रथा के शायर रहबर जौनपुरी का सम्बंध उत्तरप्रदेश से है लेकिन उनके साहित्यिक जीवन का प्रायः और अधिकतर हिस्सा भोपाल में गुज़रा। उनका असल नाम शेख़ मिनहाज अंसारी था। रहबर जौनपुरी की पैदाइश उत्तर प्रदेश के ज़िला जौनपुर के मौज़ा जेहगां में 02 जून 1939 को हुई थी। रहबर जौनपुरी की आरंभिक शिक्षा-दीक्षा जौनपुर में हुई। शिक्षा प्राप्ति के बाद 1956 में रहबर जौनपुरी भोपाल आगए और वहां स्थित बी.एच.ई.एल कंपनी से सम्बद्ध होगए और बी.एच.ई.एल से ही सेवानिवृत हुए। रहबर जौनपुरी की गिनती नज़्म के बड़े शायरों में होती थी। उन्होंने 1953 में शायरी आरंभ की। रहबर जौनपुरी उर्दू के मशहूर उस्ताद शिफ़ा गवालियारी के शागिर्दों की एक अहम कड़ी थे। रहबर जौनपुरी की महत्वपूर्ण रचनाओं में आवाज़-ए-ज़ंजीर, मौज-ए-सराब, मता-ए-फ़िक्र, बोलते हर्फ़ और पैग़ाम-ए-हक़ के नाम उल्लेखनीय हैं। पैग़ाम-ए-हक़ में रहबर जौनपुरी ने इस्लाम के इतिहास को छंदोबद्ध किया है। ये रहबर जौनपुरी का ऐसा अहम काम है जिसे उर्दू साहित्य के इतिहास में कभी फ़रामोश नहीं किया जा सकता। शायर का शहपर-ए-फ़िक्र-ओ-ख़्याल जब ज़मीन-ओ-आसमान की परिचित वातावरण में निरंतर उड़ान की एकरूपता से उदास होने लगता है तो वो “तिरे सामने आसमां और भी हैं” के दिशानिर्देशों में नए आसमान तलाश करने लगता है। रहबर जौनपुरी जब नए आसमान की तलाश में निकले तो उनकी नज़र अपने ही वतन के बुंदेलखंड इलाक़े के प्रसिद्ध लोक गीत “आल्हा” पर पड़ी और उन्होंने देहात के चौपालों से उठा कर उर्दू शायरी के महल में एक नई मस्नद लगा कर उसे स्थापित कर दिया। उन्होंने उसे उर्दू का लिबास पहना के उर्दू की प्रचलित छंदों की प्रतिष्ठा की पगड़ी भी सर पर रख दी। और सरवर-ए-कायनात की सीरत-ए-मुबारका के साथ साठ शीर्षकों के साथ हफ़ीज़ जालंधरी के शा

हनामा-ए-इस्लाम की तर्ज़ पर तारीख़-ए-इस्लाम छंदोबद्ध करके “पैग़ाम-ए-हक़” शीर्षक से उसे प्रकाशित किया। उल्लेखित नई विधा आल्हा के साथ पैग़ाम-ए-हक़ उर्दू के शे’री सरमाया में बहुमूल्य इज़ाफ़ा है।

रहबर जौनपुरी की ग़ज़लें भी नज़्मों के बराबर हैं। उन्होंने ग़ज़लों के पैमाने में अपने विचारों के दरियाओं को क़ैद किया है। रहबर जौनपुरी को 1996 में राष्ट्रपति महोदय की तरफ़ से एवार्ड भी दिया गया, इसके साथ ही विभिन्न संगठनों और संस्थाओं ने भी उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मानित किया है। उनका देहावसान 03 दिसंबर 2020 को लखनऊ में हुआ।

संबंधित टैग

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए