- पुस्तक सूची 187535
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
गतिविधियाँ42
बाल-साहित्य2053
नाटक / ड्रामा1015 एजुकेशन / शिक्षण370 लेख एवं परिचय1464 कि़स्सा / दास्तान1647 स्वास्थ्य103 इतिहास3496हास्य-व्यंग732 पत्रकारिता215 भाषा एवं साहित्य1935
पत्र808 जीवन शैली23 औषधि1010 आंदोलन299 नॉवेल / उपन्यास5019 राजनीतिक368 धर्म-शास्त्र4719 शोध एवं समीक्षा7235अफ़साना3029 स्केच / ख़ाका287 सामाजिक मुद्दे117 सूफ़ीवाद / रहस्यवाद2243पाठ्य पुस्तक570 अनुवाद4509महिलाओं की रचनाएँ6354-
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी14
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर69
- दीवान1483
- दोहा51
- महा-काव्य106
- व्याख्या207
- गीत62
- ग़ज़ल1288
- हाइकु12
- हम्द52
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1634
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात707
- माहिया19
- काव्य संग्रह5223
- मर्सिया395
- मसनवी868
- मुसद्दस58
- नात591
- नज़्म1294
- अन्य77
- पहेली16
- क़सीदा194
- क़व्वाली18
- क़ित'अ70
- रुबाई304
- मुख़म्मस16
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम35
- सेहरा10
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा20
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त27
राम कुमार की कहानियाँ
दीमक
एक ऐसे लड़के की कहानी है जो अपने वालिद से नाराज़ हो कर एक शहर में मुलाज़मत करने चला आया था। वो अपने वालिद की आदतों से पहले भी नालाँ था और माँ के इंतिक़ाल के बाद जब एक दिन वो गिरफ़्तार हो गए तो उसकी नफ़रतों में इज़ाफ़ा हो गया। जिस दिन वो रिहा हो कर वापिस आए उसी दिन वो मामूली सा सामान लेकर घर से निकल पड़ा और उसके वालिद उसको रोकने की हिम्मत भी ना कर सके। आठ साल बाद अचानक वो बेटे के कमरे पर पहुँच जाते हैं और बारह दिन रुक कर अचानक एक दिन चले जाते हैं। बेटे को कमरे में रखे हुए ख़त से पता चलता है कि वो माँ की वो संदूक़ची देने आए थे जिसमें उसके गहने रखे हुए थे और बचपन में जब वो माँ से उन गहनों को देखने की ज़िद किया करता था तो माँ कहती थी तेरी दुल्हन के लिए ही तो हैं।
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
-
गतिविधियाँ42
बाल-साहित्य2053
-
