राम रियाज़, पंजाबी और उर्दू दोनों ज़बानों के मारूफ़ शायर थे। तक़सीम-ए-हिंद के बाद पाकिस्तान में मुंतक़िल हो गए और झंग में सुकूनत इख़्तियार की। झंग ही से ग्रेजुएशन किया। राम रियाज़ के शेरी मजमुए “पेड़ और पत्ते” और “वरक़-ए-संग” के नाम से इशाअत पज़ीर हो चुके हैं।
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