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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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रासिख़ अज़ीमाबादी

1748 - 1823 | पटना, भारत

रासिख़ अज़ीमाबादी के ऑडियो

ग़ज़ल

ग़फ़लत में कटी उम्र न हुश्यार हुए हम

फ़सीह अकमल

तुम्हें ऐसा बे-रहम जाना न था

फ़सीह अकमल

दिल ज़ुल्फ़-ए-बुताँ में है गिरफ़्तार हमारा

फ़सीह अकमल

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